राज्य स्तरीय परीक्षाओं से भोजपुरी, अंगिका व मगही को हटाया जाना अत्यंत दुर्भाग्यपूर्ण: कमलेश सिंह
लाइव पलामू न्यूज(मेदिनीनगर): एनसीपी अध्यक्ष कमलेश सिंह ने मंगलवार को मेदिनीनगर में प्रेसवार्ता की। इस दौरान उन्होंने भाषाई विवाद पर बात करते हुए कहा कि राज्य सरकार का मगही,अंगिका व भोजपुरी भाषा को लेकर जो रवैया है वह काफी शर्मनाक है। उन्होंने कहा कि झारखंड में 50-60 वर्ष से रहने वाला हर व्यक्ति यहां मिलने वाली सुविधाओं का अधिकारी है। 132 के खतियान के पक्षधर वे भी नहीं हैं।
सरकार भाषाओं को राज्य स्तरीय परीक्षाओं से हटाकर भाई- भाई को लड़ाने का काम कर रही है। सरकार को इस संबंध में पुनर्विचार करने की आवश्यकता है। झारखंड के सभी जिलों में इन भाषाओं को बोलने वाले लोग रहते हैं। इसके अलावे मातृभाषा हिंदी को भी राज्य स्तरीय परीक्षाओं में लागू करना चाहिए। उनकी पार्टी किसी भाषा को हटाने के पक्ष में नहीं है। एनसीपी राज्य की परीक्षाओं में भोजपुरी ,मगही, अंगिका को शामिल कराने के लिए किसी हद तक जा सकती है। राज्य में 50% से अधिक इन भाषाओं को बोलचाल के रुप में प्रयोग करते हैं। उन्होंने आगे कहा कि जब तक राज्य से ऊंच-नीच, भाषा का विवाद नहीं मिटता तब तक राज्य की प्रगति असंभव है।

झारखंड में रहने वाला झारखंडी है चाहे उसने मैट्रिक व इंटर कहीं से भी किया हो। सभी सरकारी नौकरियों में उसकी भागीदारी सुनिश्चित होनी चाहिए। एनसीपी प्रवक्ता सूर्या सिंह ने कहा कि राज्य सरकार युवाओं को भाषा विवाद में धकेल कर बेरोजगार बना रही है। सरकार अगर युवाओं को रोजगार नहीं दे सकती तो यह मंत्रालय हमारे सुपुर्द कर दे। हम रोजगार लाकर दिखा देंगें। मौके पर एनसीपी के प्रदेश महामंत्री सह विधायक प्रतिनिधि अजीत कुमार सिंह और जिलाध्यक्ष रंजीत जायसवाल उपस्थित थे।