जंजीर से बंधे परहिया बच्चों के द्वार पहुंचे सेवादार, अमानवीय जिंदगी जी रहे बच्चों को मिली संजीवनी
दीपक फेम इंडियन रोटी बैंक टीम ने भोजन, वस्त्र, दवा समेत परिवार को हर सामग्री कराई उपलब्ध
लाइव पलामू न्यूज/मेदिनीनगर : झारखंड के पलामू जिला अंतर्गत सदर प्रखंड के सुआ पंचायत स्थित बिंदूआ टोला में आदिम जनजाति परहिया के 10 वर्ष और 12 वर्ष के मानसिक रूप से विछिप्त दो बच्चे जानवरों की तरह बेड़ियों में बंधे रहते हैं और पैसों के अभाव में साल के 365 दिन नंगे रहते हैं. इसकी सूचना जब मीडिया के माध्यम से इंडियन रोटी बैंक को मिली तो उन्होंने कहा कि दो बच्चों के साथ होते अमानवीय व्यवहार को जानकर किसी का कलेजा फट पड़ेगा, जिन्हें स्वस्थ करने के लिए इंडियन रोटी बैंक हरसंभव मदद के लिए तैयार है। जंजीर से मुक्त करने के लिए प्रशासन को इनकी सुध लेनी चाहिए। ये कहना है इंडियन रोटी बैंक के प्रदेश संयोजक दीपक तिवारी का। जिन्होंने मीडिया में आई खबर को देख दूसरे दिन सुबह सवेरे इंडियन रोटी बैंक की टीम सेवा करने पहुंची। जहां पलामू के उपायुक्त एवं सिविल सर्जन को इनके इलाज एवं जंजीर से मुक्ति के लिए पहल करने की मांग की।

पलामू जिला मुख्यालय मेदिनीनगर से सटे महज दस किलोमीटर की दूरी पर स्थित सदर प्रखंड का सुआ पंचायत में बिना सड़क वाले रास्तों से होकर सेवादार दीपक तिवारी के नेतृत्व में आईआरबी की संजीवनी टीम मेडिकल सुविधा के साथ पहुंची। जहां आदिम जनजाति के परहिया बच्चों को जंजीर में बांधकर पिछले दस सालों से रखा जाता है। उनकी हालत देख सेवादार दीपक ने प्रख्यात चिकित्सक डॉ अमित मिश्रा से स्वास्थ्य एवं मानसिक जांच कराया। उसके उपरांत उनके इलाज एवं भरण-पोषण के लिए हमेशा मदद करने का भरोसा दिया। साथ ही छः महीने का राशन में चावल, दाल, आटा, तेल, चीनी, नमक, आलू, कपड़े, बिछावन मुहैया कराया। मौके पर दीपक तिवारी ने कहा कि इंडियन रोटी बैंक की स्थापना का उद्देश्य आज सफल हुआ, जब दो परहिया बच्चों को जंजीर से मुक्ति दिलाने का जिम्मा उठाया गया।



दस सालों से बंधे बच्चे मानव जीवन के बजाय जानवर की जिंदगी जीने को विवश हैं। उन्हें इससे मुक्ति दिलाने के लिए इंडियन रोटी बैंक की संजीवनी टीम इलाज से लेकर हर सुविधा उपलब्ध करवाएगी। दीपक ने बताया कि एक अप्रैल को मुर्ख दिवस के बजाय खुशी बांटने वाले दिन के रूप में मनाती हैं। इस निमित्त हर वर्ष अक्षम परिवार तक पहुंच कर उनके घर के बच्चों को टॉफी, चॉकलेट, सैंडविच, चौमीन, ढोसा, ब्रेड, गुब्बारा, बिस्किट, नमकीन इत्यादि उपलब्ध करवाती है। परंतु आज मुकेश, आशीष जैसे दो भाइयों का हाल देखकर सेवा के संकल्प को मजबूती मिली। इंडियन रोटी बैंक का उद्देश्य सफल हो गया जब आदिम जनजाति के दो बच्चों को जंजीर से मुक्ति दिलाने का संकल्प लिया गया। आने वाले वक्त में नर सेवा नारायण सेवा के लिए दीपक तिवारी हमेशा अपनी युवा टीम के साथ खड़ी रहेगी। इस दौरान इंडियन रोटी बैंक के संजीवनी टीम के कर्ताधर्ता डॉ अमित मिश्रा ने बताया कि दोनों पिड़ित बच्चे शारीरिक रूप से स्वस्थ हैं। बचपन से इन्हें बांधकर रखा गया, जिसके चलते इनका बौद्धिक विकास नहीं हो पाया है।



इन्हें जरूरत की दवाएं बैंक की ओर से उपलब्ध करवाई गई है, अब हमेशा इनका मानसिक एवं शारीरिक इलाज होगा, इन्हें सबके साथ रखा जाएगा तो आने वाले दो तीन साल में ये पूरी तरह स्वस्थ हो जाएंगे। वहीं सदर थाना में तैनात सेवादार सब इंस्पेक्टर संजीव कुमार ने बताया कि बच्चों को देख मोह आता है, इन्हें प्यार की जरूरत है। अपने पिता की ग्यारहवीं पुण्यतिथि पर इन बच्चों का सेवा करके अच्छा लगा। विगत तीन साल से आईआरबी के साथ जुड़ कर सेवा कर रहा हूं, आगे भी इंडियन रोटी बैंक के साथ मिलकर सेवा कार्य करता रहूंगा। समाज के लोगों को इंडियन रोटी बैंक की तरह इन नौनिहालों के लिए आगे आना चाहिए।
जिससे इनके जीवन में बदलाव आएगा। इस अभियान में इंडियन रोटी बैंक के साथ स्थानीय पत्रकारों की भूमिका अहम रही। वहीं कौड़िया मुखिया प्रतिनिधि प्रेम प्रकाश ठाकुर, इंडियन रोटी बैंक के राष्ट्रीय कार्यकारिणी सदस्य साहेब सिंह नामधारी, वाइस स्टेट कॉर्डिनेटर परवेज अख्तर, पलामू कॉर्डिनेटर मनीष यादव, वाइस कॉर्डिनेटर राकेश कुमार, रविरंजन सिंह ने परिवार की देखभाल एवं बच्चों को स्वस्थ करने का संकल्प दुहराया एवं हमेशा आकर देखरेख करने का भरोसा दिया।


