हजारीबाग नगर क्षेत्र में आवारा कुत्तों की आबादी तेजी से बढ़ रही है, जिससे आम जनता को भारी परेशानी का सामना करना पड़ रहा है। ये आवारा कुत्ते यहां-वहां समूह बनाकर घूमते हैं और राह चलते लोगों को डराने-धमकाने से लेकर काटने तक की घटनाएं बढ़ती जा रही हैं। इस गंभीर समस्या पर नगर निगम को तुरंत संज्ञान लेकर आवश्यक कदम उठाने की जरूरत है।
हजारीबाग के विभिन्न मोहल्लों में आवारा कुत्तों की संख्या इतनी बढ़ गई है कि लोग अब इनकी वजह से सड़कों पर चलने में भी डर महसूस करने लगे हैं। खासकर बच्चों और महिलाओं के लिए ये कुत्ते बड़ा खतरा बन गए हैं। कई मामलों में, ये कुत्ते रात में चलते हुए लोगों पर अचानक भौंकने लगते हैं या उन पर हमला कर देते हैं, जिससे कई लोग गंभीर रूप से घायल हो चुके हैं।
शहर के कई मोहल्ले आवारा कुत्तों की भीड़ से प्रभावित हैं। लोग दिन के समय भी सड़कों पर चलने से कतराने लगे हैं। बच्चों और बुजुर्गों का घर से बाहर निकलना मुश्किल हो गया है। आए दिन कुत्तों के काटने के मामले बढ़ते जा रहे हैं, जिससे आम नागरिकों को असुरक्षा की भावना घेरने लगी है।
निवर्तमान वार्ड पार्षद अनिल प्रसाद ने इस गंभीर स्थिति पर चिंता व्यक्त की है और नगर निगम से अपील की है कि वे इस समस्या का समाधान करने के लिए शीघ्र उचित कदम उठाएं। उन्होंने कहा कि “इस पर गंभीरता पूर्वक विचार कर शीघ्र उचित कदम उठाने की जरूरत है।” अनिल प्रसाद का मानना है कि नगर निगम को आवारा कुत्तों की संख्या को नियंत्रित करने के लिए प्रभावी उपाय अपनाने चाहिए, ताकि नागरिकों की सुरक्षा सुनिश्चित की जा सके।
आवारा कुत्तों की समस्या का समाधान करने के लिए कई कदम उठाए जा सकते हैं, जैसे कि कुत्तों की नसबंदी, उनके लिए आश्रय गृह बनाना, और उन्हें सड़कों से हटाकर सुरक्षित स्थानों पर ले जाना। इसके अलावा, जन जागरूकता अभियान चलाकर लोगों को आवारा कुत्तों से निपटने के तरीके सिखाए जा सकते हैं।
हजारीबाग में आवारा कुत्तों की बढ़ती संख्या से हो रही परेशानियों को देखते हुए नगर निगम को तुरंत इस पर कार्रवाई करनी चाहिए। अनिल प्रसाद जैसे जन प्रतिनिधियों की अपील पर ध्यान देते हुए, नगर निगम को शहरवासियों की सुरक्षा और भलाई के लिए त्वरित और प्रभावी कदम उठाने चाहिए। इस समस्या का शीघ्र समाधान न केवल लोगों की सुरक्षा सुनिश्चित करेगा, बल्कि शहर के वातावरण को भी अधिक सुरक्षित और शांतिपूर्ण बनाएगा।