नई दिल्ली, 27 नवंबर 2024: भारत और संयुक्त अरब अमीरात (यूएई) के बीच संबंधों को मजबूत करने की दिशा में एक ऐतिहासिक पहल के तहत, नेशनल रियल एस्टेट डेवलपमेंट काउंसिल (NAREDCO) ने आवास और शहरी मामलों के मंत्रालय के सहयोग से “इंडिया-यूएई: शेपिंग सस्टेनेबल फ्यूचर्स: इनोवेशन एंड इन्वेस्टमेंट इन रियल एस्टेट” कॉन्फ्रेंस का आयोजन किया। यह आयोजन अबू धाबी के हिल्टन, यास आइलैंड में किया गया, जिसमें 350 से अधिक प्रतिभागियों, 35 भारतीय सरकारी प्रतिनिधियों, उद्योग जगत की प्रमुख हस्तियों और यूएई के गणमान्य व्यक्तियों ने भाग लिया।
यह कॉन्फ्रेंस नारेडको की अबू धाबी और दुबई स्टडी टूर का हिस्सा थी और इसमें सतत शहरी विकास के लिए अभिनव समाधान और निवेश रणनीतियों पर चर्चा हुई। यह आयोजन भारत और यूएई की साझेदारी के रणनीतिक महत्व को प्रस्तुत करता है, जो आर्थिक और सांस्कृतिक सहयोग का एक आदर्श मॉडल बन चुका है।
एच.ई. इंजीनियर मोहम्मद इब्राहिम अल मंसूरी, डायरेक्टर जनरल ऑफ़ शेख जायद हाउसिंग प्रोग्राम; मिनिस्ट्री ऑफ़ एनर्जी एंड इंफ्रास्ट्रक्चर यूएई, एंड मिनिस्टर एडवाइजर फॉर इंजीनियरिंग अफेयर्स, ने सतत विकास और शहरी नवाचार के प्रति यूएई की प्रतिबद्धता को रेखांकित किया। उन्होंने कहा, “यूएई ने अपनी गैर-तेल जीडीपी को 8% तक कम कर लिया है और 2023 के अंत तक 91% गृहस्वामित्व दर हासिल की है। ये वित्तीय स्थिरता और प्रगतिशील नीतियों का परिणाम है। हम अपने अनुभव साझा कर दुनिया को प्रेरित करने वाले पारिस्थितिकी-अनुकूल शहर बनाना चाहते हैं। भारत का तेजी से होता शहरीकरण साझेदारी के असीम अवसर प्रस्तुत करता है, और हम मिलकर सतत नवाचार से परिपूर्ण भविष्य का निर्माण कर सकते हैं।”
भारत सरकार के आवास एवं शहरी कार्य मंत्रालय के संयुक्त सचिव और मिशन निदेशक (हाउसिंग फॉर ऑल), श्री कुलदीप नारायण, आईएएस ने भारत के आवास मिशन के महत्वाकांक्षी पैमाने पर प्रकाश डाला। उन्होंने कहा, “पिछले नौ वर्षों में हमने 90 लाख किफायती घरों का निर्माण किया है, जो पिछले दशक में बनाए गए घरों की संख्या का दस गुना है। हमारा अगला लक्ष्य पांच वर्षों में एक करोड़ घरों का निर्माण करना है। हालांकि, भारत में शहरीकरण की तीव्रता से निपटने के लिए और अधिक प्रयासों की आवश्यकता है। हरित शहरों का विकास और अभिनव शहरी योजना महत्वपूर्ण हैं, यदि हमें देश की 7-8% वार्षिक आर्थिक वृद्धि के साथ अपनी अवसंरचना को संरेखित करना है।”
उन्होंने मजबूत नियामक ढांचे की आवश्यकता पर भी जोर दिया। “रियल एस्टेट न केवल आर्थिक विकास में योगदान देता है बल्कि सामाजिक विकास में भी सहायक है। सिंगल-विंडो इंटरफेस को व्यापार में सुगमता के लिए सुव्यवस्थित करना होगा। हमें यूएई जैसे देशों से सर्वोत्तम प्रथाओं को अपनाने की आवश्यकता है ताकि हम सतत, समावेशी और भविष्य के लिए तैयार शहरी वातावरण बना सकें।”
नारेडको के अध्यक्ष, श्री जी. हरि बाबू ने भारत-यूएई संबंधों के महत्व को रेखांकित करते हुए इस आयोजन को नींव की तरह बताया। उन्होंने कहा, “आज भारत और यूएई दुनिया में सबसे अच्छे मित्र हैं। इस सम्मेलन में भारत के 21 राज्यों के प्रतिनिधि शामिल हुए, और हम सतत शहरी विकास में महत्वपूर्ण सबक लेकर वापस जा रहे हैं। भारत का आवास सफर बुनियादी घरों से शुरू होकर अब किफायती, सतत और लक्जरी आवास तक पहुंच गया है। हैदराबाद जैसे शहरों में 20-25 करोड़ रुपये मूल्य के अपार्टमेंट्स दिखाते हैं कि हमारे रियल एस्टेट सेक्टर ने कितनी प्रगति की है।”
नारेडको के चेयरमैन, डॉ. निरंजन हीरानंदानी ने भारत की अर्थव्यवस्था में रियल एस्टेट उद्योग के महत्वपूर्ण योगदान पर जोर दिया। वर्तमान में यह जीडीपी का 7% है और नीति आयोग के अनुसार, भारत के $5 ट्रिलियन की अर्थव्यवस्था बनने की ओर बढ़ते हुए यह 15% तक पहुंच सकता है। यह वृद्धि रोजगार, निवेश और 270 सहायक उद्योगों पर सकारात्मक प्रभाव डालती है। यूएई के साथ साझेदारी मजबूत करने से नवाचार को बढ़ावा मिलेगा और सतत विकास में तेजी आएगी।
यह आयोजन भारत और यूएई के बीच सहयोग को एक नई ऊंचाई पर ले जाने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है। सतत शहरी विकास में चुनौतियों का समाधान करने और अवसरों का लाभ उठाने के प्रयास में, यह साझेदारी एक वैश्विक मानक स्थापित करने का लक्ष्य रखती है। नारेडको अंतर्राष्ट्रीय निवेश को प्रोत्साहित करने और स्थायी शहरों के निर्माण में अग्रणी भूमिका निभा रहा है।