Saturday, January 25, 2025
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Hazaribagh News : एक पैर से दिव्यांग लेकिन अभिनय के महारथी – Mukesh Ram Prajapati की प्रेरक कहानी

Hazaribagh News : प्रतिभा किसी की मोहताज नहीं होती छोटे-छोटे मंचों में अभिनय करते-करते फिल्मी पर्दे तक का सफर तय किया मुकेश राम प्रजापति Mukesh Ram Prajapati ने अभिनय ऐसा की लोगों को मंत्रमुग्ध कर दे. मुकेश राम प्रजापति को प्यार से लोग एमआरपी भी कहते हैं।

मुकेश राम प्रजापति मूलतः लोहरदगा के निवासी हैं इनका जन्म लोहरदगा में एक निर्धन परिवार में हुआ था। एम.आर.पी. के एक छोटे भाई और एक छोटी बहन हैं। माता राधा देवी गृहिणी व पिता बलराम महतो मिट्टी के बर्तन बना-बेच परिवार का भरण-पोषण करते थे।पिता के अथक प्रयास के बाद वर्ष 2000 में पीयून के पद पर उद्योग विभाग में बहाल हुये। वर्तमान समय में बाबा पथ, हजारीबाग में मकान बना कर रह रहे हैं।

मुकेश राम प्रजापति का सफर मुश्किलों से घिरा रहा ये एक पैर से दिव्यांग हैं परंतु इन्होंने कभी अपनी दिव्यांगता को कमजोरी नहीं बनने दिया और अपने विलक्षण प्रतिभा के बदौलत नाटक और फिल्मों में अपनी एक अलग जगह व पहचान बनाई। मुकेश मंच और फिल्म के साथ-साथ स्थानीय समाचार चैनल से जुड़ कर लंबे समय तक काम किया और पत्रकारिता के कुछ गुण वरिष्ठ पत्रकार विस्मय अलंकार से सीखा। मुकेश राम प्रजापति शहर के मुर्दा कल्याण समिति से जुड़कर कर 500 से अधिक अज्ञात शवों का दाह संस्कार भी किया है।

एम.आर.पी. स्कूल के समय से ही नाटकों में भाग लेते रहे हैं मैट्रिक परीक्षा के दौरान ऐसा मेहनत किया की अपने स्कूल श्री कृष्ण आरक्षी बाल उच्च विद्यालय, हजारीबाग में सेकंड टॉपर हुये। और संत कोलंबा महाविद्यालय, हजारीबाग में नामांकन लिया और इन्हें रंगकर्मी गुरु तापस चक्रवर्ती का सानिध्य मिला यहीं राष्ट्रीय सेवा योजना से जुड़े और यहाँ से इनकों अनेक मंच मिला और ये मंझते चले गये उस समय एन.एस.एस कार्यक्रम पदाधिकारी डॉ. सरिता सिंह सिंह से भी काफी सहयोग मिला उसके उपरांत एम.आर.पी इंटर आर्ट्स की पढ़ाई मार्खम कॉलेज ऑफ कॉमर्स, हजारीबाग, स्नातक की पढ़ाई अन्नदा कॉलेज, हजारीबाग और स्नातकोत्तर (एम.ए. इन थियेटर आर्ट) की पढ़ाई राँची विश्वविद्यालय,रांची से किया। राष्ट्रीय योग्यता परीक्षा यू.जी.सी. द्वारा आयोजित नेट की परीक्षा में परफार्मिंग आर्ट विषय में जे.आर.एफ. रैंक प्राप्त किया व जिला का पहला व्यक्ति बन जिला और राज्य का मान बढ़ाया। उस वर्ष दिव्यांग कोटे में परफार्मिंग आर्ट विषय पर पूरे देश भर में एम.आर.पी. अकले थे। देश के नामी भारतेन्दु नाट्य अकादमी, लखनऊ एवं सरकारी व गैर सरकारी अनेकों संस्थाओं द्वारा आयोजित नाट्य प्रशिक्षण कार्यशाला में भाग लिया और अभिनय के गुण सीखे और वर्तमान समय में एम.आर.पी. डॉ. सुबोध कुमार सिंह (शिवगीत) के निर्देशन में “इक्कीसवीं सदी के प्रमुख हिन्दी नाटक और रंगमंच:संवेदना एवं शिल्प” विषय पर पीएच.डी. कर रहे हैं।

एम.आर.पी. ने अबतक छोटी-बड़ी लगभग 35 से अधिक फ़िल्मों में काम किया है-एक गुलेलबाज़, पुनर्जागरण, द हाउंटिंग ऑफ़ पलाना, एहे तो जीवन, देवन मिसिर, पिक्चर अभी बाक़ी है, फुलमनिया, एड्स का जहर, कौन हो तुम, जगतगुरु श्रीरामकृष्ण, ब्लैक, सोने की चिड़ियाँ, कमीज़, ए कल्ट इन टाइम, एंड ही लॉस्ट, भ्रम, गौरी इन लव, जुआ, एन.एच. 99, डिजिटल रिपब्लिक, द गेस्ट, के.जी.एफ. द डार्क स्टोरी इत्यादि अनेक फिल्म, लघु फिल्म शामिल है।

एम.आर.पी. ने अनेकों मंच पर सांस्कृतिक कार्यक्रम में निर्णायक की भूमिका निभाई है। इन्हें राज्यस्तरीय बिरसा मुंडा ज्योति सम्मान, विश्वविद्यालयों व अन्य संस्थाओं द्वारा अनेकों सम्मान प्राप्त हुए हैं। अपनी सफलता का श्रेय अपने माता-पिता, भाई सूरज कुमार, बहन अनु कुमारी, पत्नी नेहा कुमारी बेटा अभिनय प्रजापति, गुरु तापस चक्रवर्ती, अजय मलकानी, राकेश गौतम, प्रवीण जायसवाल मित्र धनंजय कुमार, अशोक गोप, सुमित सिन्हा और शुभचिंतकों को दिया।

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