Hazaribagh News: भारतीय जनता पार्टी (BJP) के झारखंड प्रदेश द्वारा छह वर्षों के लिए प्राथमिक सदस्यता से निष्कासन का सामना कर रहे पूर्व जिला अध्यक्ष भैया बांके बिहारी ने इस कार्रवाई को अनुचित, अनैतिक और पार्टी संविधान के विरुद्ध बताया है। भैया बांके बिहारी ने बताया कि उन्होंने 21 अक्टूबर 2024 को ही पार्टी की प्राथमिक सदस्यता, सक्रिय सदस्यता और सभी दायित्वों से त्यागपत्र दे दिया था, जिसे तत्काल स्वीकृत करने का आग्रह भाजपा प्रदेश अध्यक्ष बाबूलाल मरांडी से किया था।
निर्दलीय उम्मीदवार के रूप में नामांकन
भैया बांके बिहारी ने 24 अक्टूबर 2024 को हजारीबाग विधानसभा क्षेत्र के चुनाव के लिए निर्दलीय उम्मीदवार के रूप में नामांकन दाखिल किया। उन्होंने स्पष्ट किया कि नामांकन से पहले भाजपा की सदस्यता से त्यागपत्र देकर उन्होंने नैतिकता का पालन किया क्योंकि पार्टी में रहकर नामांकन करना अनैतिक होता। अपने त्यागपत्र में उन्होंने आरोप लगाया था कि प्रदेश संगठन द्वारा वरिष्ठ और समर्पित कार्यकर्ताओं के प्रति उपेक्षापूर्ण व्यवहार से दुखी होकर उन्होंने यह कदम उठाया। त्यागपत्र की प्रतियां उन्होंने प्रदेश संगठन महामंत्री और हजारीबाग भाजपा जिला अध्यक्ष को सूचनार्थ भेज दी थी।
भाजपा का निष्कासन आदेश
फिर भी, 4 नवंबर 2024 को प्रदेश भाजपा महामंत्री प्रदीप वर्मा द्वारा प्रदेश अध्यक्ष बाबूलाल मरांडी के निर्देश पर भैया बांके बिहारी के विरुद्ध पार्टी से छह वर्षों के लिए निष्कासित करने के संबंध में एक पत्र जारी किया गया। इस पत्र में आरोप लगाया गया कि भैया बांके बिहारी ने पार्टी संविधान की धारा-25 (9) की अवहेलना करते हुए पार्टी प्रत्याशी के विरुद्ध अनुशासनहीनता की, इसलिए उन्हें पार्टी की सदस्यता से निष्कासित किया गया।
निष्कासन के खिलाफ प्रतिक्रिया
पूर्व भाजपा जिला अध्यक्ष भैया बांके बिहारी ने इस निष्कासन पर कड़ा प्रतिवाद करते हुए कहा कि जब उन्होंने 21 अक्टूबर 2024 को ही भाजपा की सदस्यता से त्यागपत्र दे दिया था तो इसके तेरह दिनों बाद प्रदेश अध्यक्ष द्वारा निष्कासन की प्रक्रिया किसी भी दृष्टि से न्यायसंगत नहीं है। उन्होंने कहा कि भाजपा प्रदेश अध्यक्ष और प्रदेश महामंत्री ने पार्टी संविधान का दुरुपयोग किया है और यह स्पष्ट है कि दोनों अधिकारियों ने संगठन के वरिष्ठ और समर्पित कार्यकर्ताओं के प्रति उपेक्षापूर्ण एवं अपमानजनक रवैया को छुपाने के लिए यह कदम उठाया है।
भविष्य की संभावनाएं और आरोप
भैया बांके बिहारी ने यह भी आरोप लगाया कि उनके विरुद्ध निष्कासन-पत्र को पार्टी संविधान के कई प्रावधानों का उल्लंघन कर निर्गत किया गया, जो मानहानि का मामला बनता है। उन्होंने संकेत दिया कि भविष्य में इस मुद्दे पर विचार किया जा सकता है और संभवतः कानूनी कार्रवाई भी की जा सकती है।
भाजपा में अंतर्कलह की संभावना
यह घटनाक्रम भाजपा के आंतरिक संघर्ष और नेतृत्व की चुनौतियों को भी उजागर करता है। वरिष्ठ और समर्पित कार्यकर्ताओं की उपेक्षा और अपमान के आरोप पार्टी के अंदर गहरे विभाजन की ओर इशारा करते हैं। ऐसे में, यह देखना महत्वपूर्ण होगा कि भाजपा नेतृत्व इस स्थिति को कैसे संभालता है और भविष्य में पार्टी की एकता और संगठनात्मक संरचना को कैसे बनाए रखता है।
अंतिम शब्द
इस प्रकरण ने भाजपा के आंतरिक मतभेदों और नेतृत्व के निर्णयों पर सवाल खड़े कर दिए हैं। भैया बांके बिहारी का निष्कासन और उनके आरोप पार्टी के भीतर चल रहे संघर्षों का प्रतीक है। आने वाले दिनों में यह देखना दिलचस्प होगा कि भाजपा इस चुनौती का कैसे सामना करती है और पार्टी के भीतर एकता को कैसे बहाल करती है।