जागृत करती है प्रेमचंद की कहानियां: डॉ कुमार वीरेंद्र
लाइव पलामू न्यूज/मेदिनीनगर: अगर आज प्रेमचंद होते कार्यक्रम के तहत साहित्य सम्राट मुंशी प्रेमचंद की जयंती पर इप्टा, प्रलेस, जसम, बीजीवीएस और अदबी संसार ने मिलकर तीन दिवसीय कार्यक्रम का आयोजन किया है। इसके पहले दिन गुरुवार को कार्यक्रम की शुरुआत ऑनलाइन व्याख्यान से हुई थी। प्रेमचंद और स्त्री विमर्श विषय पर इलाहाबाद यूनिवर्सिटी के आचार्य डॉ कुमार वीरेंद्र ने विस्तार से अपनी बात रखी।

उन्होंने कहा कि पहले लोग नींद आने के लिए कहानी सुनाया करते थे। लेकिन कथा जगत में प्रेमचंद के आने के बाद प्रेमचंद की कहानियां सुलाती नहीं बल्कि कई रातों की नींद उड़ा देती है। उन्होंने जीवन की संगत और असंगत घटनाओं की चर्चा भी अपने लहजे में करते हैं। उनकी कहानियां समाज के विभिन्न चरित्रों का चित्रण तो करती ही है साथ ही नारी जगत की विडंबनाओं का भी जिक्र करती है।



अपने वक्तव्य में उन्होंने प्रेमचंद के पात्र धनिया की चर्चा करते हुए कहते हैं कि धनिया के सारे बाल पक गए हैं और उसने अभी 36 वां ही तो पार किया है। एक 36 वर्ष की स्त्री का पूरा बाल पक गया है, जो जीवन के लिए असंगत घटना है। स्त्री अगर 66 की हो और बाल पक जाए तो कोई असंगत घटना नहीं होगी। अपनी इस पंक्ति के जरिए प्रेमचंद ने इशारा किया है कि आखिर धनिया को कौन सी परेशानी थी जिसके चलते उसके बाल पक गए।
इसी तरह उन्होंने अन्य पात्रों की भी चर्चा की। साथ ही मौजूदा दौर में स्त्री विमर्श को प्रेमचंद की कहानियों के साथ जोड़कर अपनी बात रखी। इप्टा झारखंड के फेसबुक पेज पर लाइव चल रहे इस कार्यक्रम को भारत ज्ञान विज्ञान समिति के राज्य अध्यक्ष शिवशंकर प्रसाद ने किया। तकनीकी पक्ष में रविशंकर ने सहयोग प्रदान किया।


