खस्ताहाल सड़कें बेपरवाह जनप्रतिनिधि, मौन अधिकारी बेचैन ग्रामीण
कोरोना को ढाल बना जिम्मेदारियों से बचते रहे हैं जनप्रतिनिधि व अधिकारी, चुनाव के समय आते हैं सारे, चुनाव जीतने के बाद नही आता कोई
#live palamu news / बरवाडीह (मयंक कुमार) : जनता अपनी समस्याओं के समाधान की उम्मीद में पंचायत से लेकर विधानसभा व लोकसभा स्तर तक अपने प्रतिनिधि का चुनाव करती है। लेकिन जनप्रतिनिधियों की उदासीनता के कारण हालात इससे विपरीत हो जाते हैं। ऊपर से वर्त्तमान समय मे कोरोना काल को ढाल बना कर अधिकारी- पदाधिकारी अपनी जिम्मेदारियों से नज़रे मोड़े हुए हैं। ऐसी ही बेपरवाही का दंश बरवाडीह प्रखण्ड के बभन्डीह गांव का ठाकुरटोला और खरवारटोला के लोग झेल रहे हैं। उन्हें जनप्रतिनिधियों की उपेक्षा का शिकार होना पड़ा है। दोनों टोला क्षेत्र की जनता एक अदद पक्की सड़क के लिए आस लागये बैठी है। लेकिन ये लोग नही जानते कि उनकी ये मांग कब पूरी होगी।

चर्चा मंडल रोड के दाहिनी ओर से निकलने वाली सड़क की, जो बभन्डीह से होते हुए कई टोलों को जोड़ता है, देवरी नदी के पास चपरी सड़क से मिलती है। जिसकी लंबाई लगभग दो किलोमीटर है। जो पूरी तरह से खस्ता हाल में हैं। इस सड़क का कुछ भाग चपरी आहार के बांध से होकर गुजरता है। जो बरसात के दिन में कीचड़ से भर जाता है। रही सही कसर देवरी नदी अवैध रूप से बालू ढोने वाले ट्रैक्टर पूरा कर देते हैं। सड़क पूरा तहस-नहस हो जाता है। बभन्डीह स्थित बैजनाथ प्रसाद के घर के समीप तो सड़क पर इतना पानी जम जाता है कि ये सड़क कम तालाब जादा नज़र आता हैं। खेरवार टोला में इस सड़क की अधिकतर भाग पूरी तरह से बर्बाद हो चुका हैं। खेरवार टोला, परहिया टोला समेत कई अन्य टोले बरिशा के समय सड़क खराब होने से पूरी तरह से मुख्य सड़क से कट जाते हैं।



सड़कें ऐसी की चिकित्सा जैसी आपातकालीन जरूरतों से लिये भी लोगो सोचना पड़ता है क्योंकि बरिशा के समय एम्बुलेंस सही समय पर नही पहुँच सकती। वही चपरी आहार के बांध पर इस सड़क यह स्थिति है अगर लोगो बांध से गुजरते है अपना जान जोखिम में डाल कर, क्योंकि एक तरह भरा हुआ तालाब है तो दूसरी तरह लगभग पैतीस से चालीस फिट गहरे खेत, थोड़ी सी असावधानी राहगीरों की जान तक ले सकती हैं। ग्रामीण रिषु चंद्रवंशी ने कहा इस सड़क की ऐसी हालत कई सालों से हैं। चुनाव के समय सारे नेता आते है पर चुनाव जीतने के बाद कोई नही आता। पूर्व जनप्रतिनिधि चुनाव जीतने के बाद एक भी बार जनता के समस्याओं को देखने नही आये। ऐसी ही हालात वर्तमान के चुने हुए जनप्रतिनिधियों का भी है।
चुनाव जीतने के बाद इस क्षेत्र में एक बार भी जनता के इस गाँव मे नही आये। इससे ये साफ हो जाता है कि जनता के समस्याओं से इनका कोई लेना देना नही। ओमप्रकाश पासवान ने कहा जनप्रतिनिधियों से कोई आस करना ही बेकार हैं। ये जनता तक बस चुनाव के समय ही जाते हैं। अगर चुनाव जीत गए तो जनता को इनके घर जाना पड़ता हैं। अपनी समस्याओं को लेकर, फिर भी कोई गारंटी नही है कि जनता के समस्याओं का समाधान होगा। हर तरफ से केवल गरीब जनता ही ठगे जाते है। जनप्रतिनिधि केवल भाषण व आश्वासन को ही विकास मानते है। जमीनी स्तर के विकास से इनका कुछ लेना देना नही है। पंचायत स्तर पर विकास की बात सोचना तो बिल्कुल बेमानी है।


