Chatra News: चतरा जिले के टंडवा क्षेत्र में व्याप्त है। यहाँ आम्रपाली, मगध, पिपरवार, खलारी कोल माइंस से कोयले की अंधाधुंध ढुलाई न केवल क्षेत्र के पर्यावरण और स्वास्थ्य को नुकसान पहुँचा रही है, बल्कि स्थानीय निवासियों की जिंदगी को असहनीय बना रही है।
जीवन की हानि:
अब तक 1000 से अधिक लोगों की जान हाईवा ट्रकों के नीचे कुचले जाने से जा चुकी है। यह स्थिति पूरी तरह से अस्वीकार्य है। ऐसे हादसों को रोकने के लिए सख्त नियमों और सुरक्षा मानकों की तत्काल आवश्यकता है।
पर्यावरण और स्वास्थ्य संकट:
कोयला ढुलाई से उत्पन्न जहरीली धूल के कारण क्षेत्र में टीबी, दमा और अन्य गंभीर श्वसन रोगों में खतरनाक वृद्धि हो रही है। स्वास्थ्य सुविधाओं का अभाव समस्या को और बढ़ा रहा है।
पानी का संकट:
खदानों के कारण भूजल स्तर अत्यंत नीचे चला गया है, जिससे पीने के पानी की भारी किल्लत हो रही है। लोग एक-एक बूंद पानी के लिए तरसने को मजबूर हैं। “जल ही जीवन है” का यह संकट क्षेत्र में गहराता जा रहा है।
स्थानीय रोजगार का अभाव:
इन खदानों से राजस्व तो खूब हो रहा है, लेकिन स्थानीय लोगों को रोजगार के अवसर नहीं मिल रहे। यह दुर्भाग्यपूर्ण है कि जिन खदानों की वजह से लोग विस्थापन और कठिनाइयाँ झेल रहे हैं, उन्हीं में उनके लिए रोजगार के अवसर नहीं हैं। मजबूर होकर लोग पलायन कर रहे हैं।
मेरी माँगें इस प्रकार हैं:
सड़क दुर्घटनाओं की रोकथाम के लिए: हाईवा ट्रकों की गति और संख्या को नियंत्रित करने के लिए कड़े नियम बनाए जाएं।
धूल नियंत्रण: कोल डंपिंग और ट्रांसपोर्ट में वैज्ञानिक उपायों, जैसे वाटर स्प्रिंकलिंग और कवर ट्रांसपोर्टेशन, को अनिवार्य किया जाए।
पानी के संकट का समाधान:
क्षेत्र में रेनवाटर हार्वेस्टिंग और वाटर ट्रीटमेंट प्लांट की व्यवस्था की जाए।
स्वास्थ्य सेवाएं: कोयला कंपनियों को सीएसआर फंड से स्वास्थ्य शिविर और अस्पतालों का निर्माण करना अनिवार्य किया जाए।
स्थानीय रोजगार:
खदानों में प्राथमिकता के आधार पर स्थानीय युवाओं को रोजगार दिया जाए।
यह मुद्दा न केवल क्षेत्रीय बल्कि मानवाधिकार और विकास का भी है। मैं सदन और सरकार से निवेदन करता हूँ कि इस गंभीर समस्या का समाधान निकाले और टंडवा क्षेत्र के लोगों को न्याय दिलाने में मदद करे