- सर्टिफिकेट जांच के नाम पर खूब चला पैसे की खेल
- बहाली के समय जाली सर्टिफिकेट का खुब चला विभाग का मेल
Chatra News: शिक्षा विभाग का भी अजब गजब कारनामे सामने आते रहते हैं।जिस विभाग में किसी भी बच्चे का चरित्र निर्माण होता है।उसका चरित्र रूपी बेसिक ग्राउंड तैयार करने की जिम्मेवारी जिस विभाग को हो उसमे भी जिन्हें चरित्र निर्माण की जिम्मेवारी दी जाए और वही चरित्रहीन रहे तो वह दूसरे का चरित्र को कैसे बना सकता है।बच्चों की किस्मत गढ़ने की जिम्मेवारी शिक्षकों पर रहती है और शिक्षक ही अनपढ़ हो मैट्रिक फेल हो तो वह कैसे किसी बच्चे का चरित्र सुधार सकता है या किस्मत बना सकता है।ऐसा ही मामला चतरा जिले के शिक्षा विभाग में खूब फल फूल रहा है।दर्जनो ऐसे सहायक शिक्षक हैं जो मैट्रिक फेल हैं और फर्जी सर्टिफिकेट के आधार पर नौकरी कर रहे हैं।इस फर्जीवाड़ा में केवल वे जाली सर्टिफिकेट के बल पर नौकरी कर रहे सहायक शिक्षक ही दोशिवार नहीं हैं बल्कि इस मे शिक्षा विभाग के पदाधिकारियों का भी अहम रौल है।जिसमे मैट्रिक फेल को भी ग्रेजुएट बता कर उन्हें प्रत्येक महीने मानदेय भी दे रहे हैं।और वैसे फर्जी सर्टिफिकेट वाले सहायक शिक्षकों से मोटी रकम भी वसूली हुई है।
बहाली के समय मैट्रिक फेल बाद में पास कर लगाया गया है सर्टिफिकेट:-कान्हाचट्टी प्रखंड के दर्जनो ऐसे सहायक शिक्षक हैं जो जिस समय पारा शिक्षक के रूप में चयनित हुए थे उस समय मैट्रिक भी पास नहीं थे और सर्टिफिकेट तो बी एस सी और बी ए का लगाकर नौकरी पाए।और बहाली के पांच सात वर्ष बाद किसी तरह से मैट्रिक पास का सर्टिफिकेट लगाकर पुराना फर्जी सर्टिफिकेट को शिक्षा विभाग के मिली भगत से सर्टिफिकेट को बदल दिया गया है।इसमें जब जब झारखण्ड सरकार सर्टिफिकेट वेरिफिकेशन का समय निकाला तब तब इन शिक्षकों से जबरदस्त तशिली हुई।बताते चलें कि पारा शिक्षकों की बहाली जब वर्ष 2005-06 में शिक्षा विभाग निकाला था तो उस समय पहली से पांचवीं कक्षा तक के लिए इंटरमीडियट और छठी से आठवीं वर्ग के लिए आई एस सी प्लस बी ए का योग्यता मांगा था।लेकिन जो शिक्षक जाली सर्टिफिकेट के बल पर बहाल हुए और छठी से आठवीं कक्षा तक के लिए आई एस सी प्लस बी ए का सर्टिफिकेट जैसे तैसे जमाकर बहाल हो गए।वे लोग बाद में अर्थात बहाली कब पांच सात वर्ष बाद चाहे फिर मैट्रिक इंटर और बी ए पास कर सर्टिफिकेट लगाए चाहे मामला उजागर होने के भय से एक से पांचवी तक विभाग के सेटिंग से करवा लिए।मध्य विद्यालय केंदुवा सहोर के एक सहायक शिक्षक का जब बहाली हुई थी उस समय आई एस सी प्लस बी ए का सर्टिफिकेट दिया था जबकि वह शिक्षक उस समय आई कम किये हुए था, वह जाली आई एस सी का सर्टिफिकेट लगाया,अब वह सरकारी शिक्षक बन गया है।कुछ इसी तरह कान्हाचट्टी प्रखंड के धमधमा स्कूल के एक शिक्षक का भी यही हाल है।जिसने पारा शिक्षक चयन के समय आई एस सी प्लस बी ए का सर्टिफिकेट जमा किया था जबकि उस समय वह शिक्षक इंटरमीडियट कॉमर्स से पास था।आखिर विभाग बच्चों के भविष्य के साथ खिलवाड़ क्यों कर रही है।प्रखंड दो दर्जन पारा शिक्षक का सर्टिफिकेट जाली है।फिर भी विभाग उन्हें पास बताकर वेतन दे रही है।
कई सहायक शिक्षक हैं जिन्हें अच्छा से पढ़ने नहीं आता:- प्रखंड में आज भी कई विद्यालय में ऐसे ऐसे शिक्षक हैं जिन्हें न बढ़िया से पढ़ने आता है और न बच्चों को पढ़ाने।आखिर वैसे वैसे शिक्षक बच्चों के भविष्य को क्या सुधारेंगे।और जब अभिभावक इसकी शिकायत भी करते हैं तो विभाग केवल स्पष्टीकरण कर अपना उल्लू सीधा कर पल्ला झाड़ लेते हैं।तो आखिर शिक्षा विभाग का क्या हाल होगा।एक समाज सेवी ने बताया कि कान्हाचट्टी प्रखंड के विभिन्न विद्यालयों में दो दर्जन से भी ज्यादा सहायक शिक्षक हैं जो फर्जी सर्टिफिकेट पर नौकरी कर रहे हैं और छात्र छात्राओं के भविष्य के साथ खिलवाड़ कर रहे हैं।इनकी जांच स्वतंत्र एजेंसी से कराया जाना चाहिए।इधर प्रखंड के एक विद्यालय के दो तीन शिक्षकों जिनका फर्जी सर्टिफिकेट था उन्हें हटाया।तो उनलोगो का कहना है कि प्रखंड के दर्जनो स्कूल में फर्जी सर्टिफिकेट पर दो दर्जन पारा शिक्षक कार्यरत हैं उन से विभाग पैसे की खेल कर उन्हें बचा रही है।हटाये गए शिक्षकों ने फर्जी सर्टिफिकेट के आधार पर बहाल हुए शिक्षकों के साथ साथ पदाधिकारियो पर भी करवाई की मांग किए हैं।