विधानसभा सामान्य प्रयोजन समिति ने वन खनन औऱ पर्यटन को लेकर की बैठक, वन विभाग के अधिकारी के कार्यशैली पर समिति के सभापति सरयू राय ने उठाये सवाल
लाइव पलामू न्यूज/बरवाडीह (लातेहार) : तीन दिवसीय दौरे पर पहुंची बेतला झारखंड विधानसभा के सामान्य प्रयोजन समिति ने रविवार को बेतला के सभागार में मैराथन बैठक की। जिसमें वन विभाग, खनन विभाग और पर्यटन विभाग से जुड़े मुद्दों को लेकर चर्चा हुई। इस बैठक की अध्यक्षता समिति के सभापति जमशेदपुर से विधायक सरयू राय ने की, वही समिति के सदस्य के रूप में भवनाथपुर से विधायक भानु प्रताप शाही, अनंत कुमार ओझा, दीपिका पांडेय और मथुरा महतो शामिल हुए। बैठक के दौरान समिति के सभापति सरयू राय ने अपने बेबाक अंदाज में वन विभाग के अधिकारियों की जमकर क्लास लगाते हुए उनकी कार्यशैली पर नाराजगी जाहिर की। उन्होंने वन क्षेत्र अंतर्गत विगत वर्षों में हुई बाघनी, हाथी समेत अन्य वन जीवों की मौत के साथ-साथ कई मुद्दों को लेकर जमकर फटकार लगाई।

समिति की बैठक के बाद प्रेस वार्ता करते हुए समिति के सभापति सरयू राय ने कहां की हमें अफसोस है की पलामू टाइगर रिजर्व और बेतला नेशनल पार्क के रखरखाव और संचालन कैसे किया जाता है इससे जुड़े बांतों का अधिकारियों को जरा भी जानकारी नहीं है, क्योंकि टाइगर रिजर्व क्षेत्र में बाघों के ना होने का दोष बाघों को देना यह उचित नहीं है इसमें दोषी यहां से जुड़े अधिकारी हैं जो इस बात पर काम नहीं कर रहे हैं कि यहां बाघ कैसे रहे और बाघों का संरक्षण कैसे हो। उन्होंने कहा कि आज हम यहां इसी लिए बैठक के माध्यम से यह तय किया गया किस क्षेत्र में बाघों का संरक्षण कैसे हो उसके लिए क्या योजना बने वह इस समिति के माध्यम से विधानसभा में रखने का काम किया जाएगा।



कोई अधिकारी नही जो वन जीवो संरक्षण के बारे में जानते हो : सरयू
बेतला नेशनल पार्क और टाइगर रिजर्व के मुद्दे सरयू राय ने यह भी कहा कि अफसोस इस बात का भी है कि इस राज्य में वन विभाग में काम करने वाले ऐसे कोई भी वन विभाग के अधिकारी नहीं चाहे वह डीएफओ हो या डायरेक्टर पीसीसीएफ हो जो वन संरक्षण या वाइल्डलाइफ की ट्रेनिंग लेकर आए हैं इसलिए मैं सरकार से अनुरोध करूंगा कि वन विभाग के कुछ अधिकारियों को विशेष ट्रेनिंग कराई जाए ताकि उन्हें बेहतर जानकारी मिल सकें।
पीटीआर को बर्बाद करने की दिशा में ले जा रहा है सिस्टम
मौके पर सरयू राय ने कहा कि पलामू टाइगर रिजर्व को बर्बाद करने की दिशा में ले जाने के लिए यहां का पूरा सिस्टम जिम्मेवार है और पता नहीं चल पा रहा है आखिर यह सिस्टम किसके दबाव में और किसके इशारे पर काम कर रही है, क्योंकि बाघिन की मौत, हाथी की मौत के मामले को पूरी तरीके से वन विभाग के द्वारा दबाने का अब तक प्रयास किया गया है मगर समिति के माध्यम से पूरे प्रकरण की पोस्टमार्टम रिपोर्ट समेत अन्य रिपोर्ट वन विभाग से मांगी गई है क्योंकि वन विभाग के द्वारा जो कारण बताए जा रहे हैं उससे समिति पूरी तरीके से असंतुष्ट है।



1973-74 में भारत के टाइगर रिजर्व क्षेत्रों में बेतला की स्थिति थी बेहतर
वन विभाग की योजनाओं पर सवाल-1973 में भारत के टाइगर रिजर्व क्षेत्रों में सबसे अच्छी स्थिति वाला टाइगर रिजर्व बेतला था, वहीं 2005 में 38 औऱ अब 2020 में शून्य हो जाना अपने आप मे एक बड़ा सवाल है। जबकि वन विभाग के द्वारा बाघों के संरक्षण के नाम पर करोड़ों रुपए खर्च करने का काम किया जा रहा है आखिर कैमरा, सीसीटीवी कैमरा, वॉच टावर का क्या उपयोग हो रहा है। उन्होंने यह भी कहा कि वन क्षेत्र में विशेष तौर पर टाइगर रिजर्व के इलाके में कई ऐसे कार्य कराए जा रहे हैं या हुए हैं जिन्हें नहीं कराया जाना था आखिर इन कार्य को अनुमति देने और कराने का जिम्मेवार कौन है जिसकी पूरी जानकारी समिति के द्वारा ली गई।


